अमृत वेले का हुक्मनामा – 10 फरवरी 2024
सलोक मः ३ ॥ हउमै विचि जगतु मुआ मरदो मरदा जाइ ॥ जिचरु विचि दमु है तिचरु न चेतई कि करेगु अगै जाइ ॥ गिआनी होइ सु चेतंनु होइ अगिआनी अंधु कमाइ ॥ नानक एथै कमावै सो मिलै अगै पाए जाइ ॥१॥
संसार हुमाय में मरा हुआ है, रोज (और गहरा) जा रहा है, जब तक सरीर में दम है, प्रभु को याद नहीं करता: ( सनसारी जीवे हुमाय में रह के कभी नहीं सोचता की) आगे दर्गेह में जा के क्या हाल होगा। जो मनुख ज्ञानवान होता है, वेह सुचेत रहता है, अज्ञानी मनुख अज्ञानता का ही काम करता हिया; हे नानक! मनुख जनम में जो कुछ मनुख कमाई करता हिया, वो ही मिलती है, परलोक में जा का भी वो ही मिलती है।