अमृत वेले का हुक्मनामा – 30 दसंबर 2023
गूजरी महला ५ ॥ कबहू हरि सिउ चीतु न लाइओ ॥ धंधा करत बिहानी अउधहि गुण निधि नामु न गाइओ ॥१॥ रहाउ ॥ कउडी कउडी जोरत कपटे अनिक जुगति करि धाइओ ॥ बिसरत प्रभ केते दुख गनीअहि महा मोहनी खाइओ ॥१॥
(माया – मोहिया जीव ) कभी भी अपना मन परमात्मा (के चरणों) के साथ नहीं जोड़ता । (माया की खातिर) भाग-धोड़ करते हुवे (उसकी ) उम्र गुजर जाती है सभी गुणों के खजाने परमात्मा का नाम नहीं जपता ॥੧॥ रहाऊ॥ लूट कर एक एक पैसा कर के माया जोड़ता है अनेक तरीके इस्तमाल करके माया की खातिर धोड़ता फीरता है । परमात्मा का नाम भुलाने के कारण इसको अनेक दुःख लग जाते है। मन को मोहने वाली प्रभल माया इस के आत्मक जीवन को खा जाती है ॥੧॥