अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 18 दसंबर 2023

बिलावलु महला ५ ॥ साधसंगति कै बासबै कलमल सभि नसना ॥ प्रभ सेती रंगि रातिआ ता ते गरभि न ग्रसना ॥१॥ नामु कहत गोविंद का सूची भई रसना ॥ मन तन निरमल होई है गुर का जपु जपना ॥१॥ रहाउ ॥हरि रसु चाखत ध्रापिआ मनि रसु लै हसना ॥ बुधि प्रगास प्रगट भई उलटि कमलु बिगसना ॥२॥ सीतल सांति संतोखु होइ सभ बूझी त्रिसना ॥ दह दिस धावत मिटि गए निरमल थानि बसना ॥३॥ राखनहारै राखिआ भए भ्रम भसना ॥ नामु निधान नानक सुखी पेखि साध दरसना ॥४॥१३॥४३॥

हे भाई! गुरु की सांगत में स्थिर रहने से सारे पाप दूर हो जाते हैं। (साध संगत की बरकत से) परमात्मा के साथ (साँझ बनाने से) परमात्मा के प्रेम-रेंग में रंगना हो जाता है, जिस से जन्म-मरण के चाकर में नहीं फसते।१। हे भाई! परमात्मा का नाम जपने से (मनुख की) जिव्हा पवित्र हो जाती है। गुरु का (बताया हुआ हरी-नाम का) जाप जपने से मन पवित्र हो जाता है, सरीर पवित्र हो जाता है।१।रहाउ। ( हे भाई! गुरु की सरन aa के) परमात्मा के नाम का रस चखने से (माया के लालच से)मन भर जाता है, परमात्मा का नाम-रस मन में बसा के मन सदा खिला-खिला रहता है। बूढी में (सही जीवन का) प्रकाश हो जाता है, बूढी उज्जवल हो जाती है। ह्रदय=कमल (माया के मोह से) पलट कर सदा खिला-खिला रहता है।२। (हे भाई! गुरु की शरण पड़ कर परमात्मा के नाम का जाप करने से मनुष्य का मन) ठंडा-ठार हो जाता है, (मन में) शांति और संतोख पैदा हो जाते हैं, माया वाली सारी तृष्णा समाप्त हो जाती है। (माया की खातिर) दसों दिशाओं में (सारे जगत में) दौड़-भाग मिट जाती है, (प्रभु के चरणों में) पवित्र स्थल पर निवास हो जाता है।੩। हे नानक! रक्षा करने में समर्थ प्रभु ने जिस मनुष्य की (विकारों से) रक्षा की, उसकी सारी ही भटकनें (जल के) राख हो गई। गुरु का दर्शन करके उस मनुष्य ने परमात्मा का नाम प्राप्त कर लिया (जो मानो, दुनिया के सारे ही) खजाने (हैं), (और नाम की इनायत से वह सदा के लिए) सुखी हो गया।੪।੧੩।੪੩।


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