अमृत वेले का हुक्मनामा – 14 जुलाई 2023
गूजरी महला ५ ॥ तूं समरथु सरनि को दाता दुख भंजनु सुख राइ ॥ जाहि कलेस मिटे भै भरमा निरमल गुण प्रभ गाइ ॥१॥ गोविंद तुझ बिनु अवरु न ठाउ ॥ करि किरपा पारब्रहम सुआमी जपी तुमारा नाउ ॥ रहाउ ॥ सतिगुर सेवि लगे हरि चरनी वडै भागि लिव लागी ॥ कवल प्रगास भए साधसंगे दुरमति बुधि तिआगी ॥२॥ आठ पहर हरि के गुण गावै सिमरै दीन दैआला ॥ आपि तरै संगति सभ उधरै बिनसे सगल जंजाला ॥३॥ चरण अधारु तेरा प्रभ सुआमी ओति पोति प्रभु साथि ॥ सरनि परिओ नानक प्रभ तुमरी दे राखिओ हरि हाथ ॥४॥२॥३२॥
हे प्रभु! तुन सभी ताकतों का मालिक है, तू सरन में आये को सहारा देने वाला है, तूं (जीवों के) दुःख दूर करने वाला है, और सुख देने वाला है। तेरे पवित्र गुण गा गा के जीवों के दुःख दूर हो जाते हैं, सरे डर भरम मिट जाते हैं।१। हे मेरे गोविन्द! तेरे बिना मेरा होर कोई आसरा नहीं है। हे परब्रह्म! हे स्वामी! (मेरे ऊपर) कृपा करो, मैं (सदा) तेरा नाम जपता रहूँ।१।रहाउ। हे भाई! जो मनुख बड़ी किस्मत से गुरु की सरन आ के प्रभु के चरणों में जुड़ते हैं, उनकी लगन (परमात्मा के) साथ लग जाती है, गुरु की संगत में रह के उनके ह्रदय-कमल खिल जाते हैं, वह बुरी बुद्धि त्याग देते हैं।2। हे भाई! जो मनुष्य आठों पहर परमात्मा के गुण गाता है, दीनों पर दया करने वाले का नाम सिमरता है, वह खुद (संसार-समुंद्र से) पार लांघ जाता है, उसके सारे मायावी बंधन नाश हो जाते हैं।3। हे प्रभू! हे स्वामी! जिस मनुष्य ने तेरे चरनों को अपनी जिंदगी का सहारा बना लिया, तू मालिक! ताणे-पेटे की तरह सदा उसके साथ रहता है। हे नानक! (कह–) हे प्रभू! जो मनुष्य तेरी शरण आ पड़ा, हे हरी! तू उसको अपना हाथ दे के (संसार-समुंद्र से) बचाता है।4।32।