संधिआ वेले का हुक्मनामा – 7 जून 2023

सोरठि महला ५ ॥ जीअ जंत्र सभि तिस के कीए सोई संत सहाई ॥ अपुने सेवक की आपे राखै पूरन भई बडाई ॥१॥ पारब्रहमु पूरा मेरै नालि ॥ गुरि पूरै पूरी सभ राखी होए सरब दइआल ॥१॥ रहाउ ॥ अनदिनु नानकु नामु धिआए जीअ प्रान का दाता ॥ अपुने दास कउ कंठि लाइ राखै जिउ बारिक पित माता ॥२॥२२॥५०॥


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