अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 1 मई 2023

सोरठि महला ५ घरु १ तितुके ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ किस हउ जाची किसु आराधी जा सभु को कीता होसी ॥ जो जो दीसै वडा वडेरा सो सो खाकू रलसी ॥ निरभउ निरंकारु भव खंडनु सभि सुख नव निधि देसी ॥१॥ हरि जीउ तेरी दाती राजा ॥ माणसु बपुड़ा किआ सालाही किआ तिस का मुहताजा ॥ रहाउ ॥ जिनि हरि धिआइआ सभु किछु तिस का तिस की भूख गवाई ॥ अैसा धनु दीआ सुखदातै निखुटि न कब ही जाई ॥ अनदु भइआ सुख सहजि समाणे सतिगुरि मेलि मिलाई ॥२॥ मन नामु जपि नामु आराधि अनदिनु नामु वखाणी ॥ उपदेसु सुणि साध संतन का सभ चूकी काणि जमाणी ॥ जिन कउ क्रिपालु होआ प्रभु मेरा से लागे गुर की बाणी ॥३॥ कीमति कउणु करै प्रभ तेरी तू सरब जीआ दइआला ॥ सभु किछु कीता तेरा वरतै किआ हम बाल गुपाला ॥ राखि लेहु नानकु जनु तुमरा जिउ पिता पूत किरपाला ॥४॥१॥


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