अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 1 जनवरी 2023

सोरठि महला ३ ॥ बिनु सतिगुर सेवे बहुता दुखु लागा जुग चारे भरमाई ॥ हम दीन तुम जुगु जुगु दाते सबदे देहि बुझाई ॥१॥ हरि जीउ क्रिपा करहु तुम पिआरे ॥ सतिगुरु दाता मेलि मिलावहु हरि नामु देवहु आधारे ॥ रहाउ ॥ मनसा मारि दुबिधा सहजि समाणी पाइआ नामु अपारा ॥ हरि रसु चाखि मनु निरमलु होआ किलबिख काटणहारा ॥२॥ सबदि मरहु फिरि जीवहु सद ही ता फिरि मरणु न होई ॥ अम्रितु नामु सदा मनि मीठा सबदे पावै कोई ॥३॥ दातै दाति रखी हथि अपणै जिसु भावै तिसु देई ॥ नानक नामि रते सुखु पाइआ दरगह जापहि सेई ॥४॥११॥

हे भाई! गुरु की सरन आये बिना मनुख को बहुत दुःख चिपका रहता है, मनुख सदा ही भटकता फिरता है। हे प्रभु! हम (जीव, तेरे दर के) भिखारी हैं, तूँ हमेशां ही दातें देने वाला है, (कृपा कर, गुरु के) शब्द में जोड़ कर आत्मिक जीवन की समझ बक्श॥१॥ प्यारे प्रभु जी! (मेरे ऊपर) कृपा कर, तेरे नाम की डाट देने वाला प्रभु मुझे मिला, और (मेरी जिन्दगी का) सहारा अपना नाम मुझे दे॥रहाउ॥ (हे भाई! गुरू की शरण पड़ कर जिस मनुष्य ने) बेअंत प्रभू का नाम हासिल कर लिया (नाम की बरकति से) वासना खत्म करके उसकी मानसिक डाँवा डोल हालत आत्मिक अडोलता में लीन हो जाती है। हे भाई! परमात्मा का नाम सारे पाप काटने के समर्थ है (जो मनुष्य नाम प्राप्त कर लेता है) हरी-नाम का स्वाद चख के उसका मन पवित्र हो जाता है।2। हे भाई! गुरू के शबद में जुड़ के (विकारों से) अछोह हो जाओ, फिर सदा के लिए ही आत्मिक जीवन जीते रहोगे, फिर कभी आत्मिक मौत नजदीक नहीं फटकेगी। जो भी मनुष्य गुरू के शबद के द्वारा हरी-नाम प्राप्त कर लेता है उसको ये आत्मिक जीवन देने वाला नाम सदा के लिए मन में मीठा लगने लगता है।3। हे भाई! दातार ने (नाम की ये) दाति अपने हाथ में रखी हुई है, जिसे चाहता है उसे दे देता है। हे नानक! जो मनुष्य प्रभू के नाम-रंग में रंगे जाते हैं, वह (यहाँ) सुख पाते हैं, परमात्मा की हजूरी में भी वही मनुष्य आदर मान पाते हैं।4।11।


Related Posts

One thought on “अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 18 फरवरी 2023

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Begin typing your search term above and press enter to search. Press ESC to cancel.

Back To Top