संधिआ वेले का हुक्मनामा – 28 मई 2024

सोरठि महला ५ ॥ पुत्र कलत्र लोक ग्रिह बनिता माइआ सनबंधेही ॥ अंत की बार को खरा न होसी सभ मिथिआ असनेही ॥१॥ रे नर काहे पपोरहु देही ॥ ऊडि जाइगो धूमु बादरो इकु भाजहु रामु सनेही ॥ रहाउ ॥ तीनि संङिआ करि देही कीनी जल कूकर भसमेही ॥ होइ आमरो ग्रिह महि बैठा करण कारण बिसरोही ॥२॥ अनिक भाति करि मणीए साजे काचै तागि परोही ॥ तूटि जाइगो सूतु बापुरे फिरि पाछै पछुतोही ॥३॥ जिनि तुम सिरजे सिरजि सवारे तिसु धिआवहु दिनु रैनेही ॥ जन नानक प्रभ किरपा धारी मै सतिगुर ओट गहेही ॥४॥४॥

हे भाई! पुत्र, स्त्री, घर के अन्य मर्द और औरतें (सारे) माया के की रिश्ते हैं। आखिर समय (इनमे से) कोई भी तेरा मददगार नहीं बनेगा, सारे झूठा ही प्यार करने वाले हैं॥१॥ हे मनुख! (केवल इस) सरीर को ही क्यों लाड प्यार से पालता रहता है? (जैसे) धुंआ, (जैसे) बादल (उड़ जाता है, उसी प्रकार यह सरीर) नास हो जायेगा। सिर्फ परमात्मा का भजन करा कर, वोही असली प्यार करने वाला है॥रहाउ॥ हे भाई! (परमात्मा ने) माया के तीनो गुणों के असर में रहने वाला तेरा सरीर बना दिया है, (यह अंत को) पानी के, कुतों के, या मिटटी के हवाले हो जाता है। तू इस सरीर-घर में (अपने आप को) अमर समझ बैठा रहता है, और जगत के मूल परमात्मा को भुला रहा है॥२॥ हे भाई! अनेकों तरीकों से (परमात्मा ने तेरे सारे अंग) मणके बनाए हैं; (पर, साँसों के) कच्चे धागे में परोए हुए हैं। हे निमाणे जीव! ये धागा (आखिर) टूट जाएगा, (अब इस शरीर के मोह में प्रभू को बिसारे बैठा है) फिर समय बीत जाने पर हाथ मलेगा।3। हे भाई! जिस परमात्मा ने तुझे पैदा किया है, पैदा करके तुझे सुंदर बनाया है उसे दिन-रात (हर वक्त) सिमरते रहा कर। हे दास नानक! (अरदास कर और कह–) हे प्रभू! (मेरे पर) मेहर कर, मैं गुरू का आसरा पकड़े रखूँ।4।4।


Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Begin typing your search term above and press enter to search. Press ESC to cancel.

Back To Top