अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 30 मई 2024

गूजरी महला ५ ॥ जिसु मानुख पहि करउ बेनती सो अपनै दुखि भरिआ ॥ पारब्रहमु जिनि रिदै अराधिआ तिनि भउ सागरु तरिआ ॥१॥ गुर हरि बिनु को न ब्रिथा दुखु काटै ॥ प्रभु तजि अवर सेवकु जे होई है तितु मानु महतु जसु घाटै ॥१॥ रहाउ ॥ माइआ के सनबंध सैन साक कित ही कामि […]

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संधिआ वेले का हुक्मनामा – 30 मई 2024

सोरठि महला ४ ॥ आपे कंडा आपि तराजी प्रभि आपे तोलि तोलाइआ ॥ आपे साहु आपे वणजारा आपे वणजु कराइआ ॥ आपे धरती साजीअनु पिआरै पिछै टंकु चड़ाइआ ॥१॥ मेरे मन हरि हरि धिआइ सुखु पाइआ ॥ हरि हरि नामु निधानु है पिआरा गुरि पूरै मीठा लाइआ ॥ रहाउ ॥ आपे धरती आपि जलु पिआरा […]

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अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 31 मई 2024

रागु सोरठि बाणी भगत नामदे जी की घरु २ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ सुख सागरु सुरतर चिंतामनि कामधेनु बसि जा के ॥ चारि पदारथ असट दसा सिधि नव निधि कर तल ता के ॥१॥ हरि हरि हरि न जपहि रसना ॥ अवर सभ तिआगि बचन रचना ॥१॥ रहाउ ॥ नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस […]

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संधिआ वेले का हुक्मनामा – 31 मई 2024

बेद पुरान सभै मत सुनि कै करी करम की आसा ॥ काल ग्रसत सभ लोग सिआने उठि पंडित पै चले निरासा ॥१॥ मन रे सरिओ न एकै काजा ॥ भजिओ न रघुपति राजा ॥१॥ रहाउ ॥ बन खंड जाइ जोगु तपु कीनो कंद मूलु चुनि खाइआ ॥ नादी बेदी सबदी मोनी जम के पटै लिखाइआ […]

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अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 1 जून 2024

सलोकु मः ३ ॥ पड़णा गुड़णा संसार की कार है अंदरि त्रिसना विकारु ॥ हउमै विचि सभि पड़ि थके दूजै भाइ खुआरु ॥ सो पड़िआ सो पंडितु बीना गुर सबदि करे वीचारु ॥ अंदरु खोजै ततु लहै पाए मोख दुआरु ॥ गुण निधानु हरि पाइआ सहजि करे वीचारु ॥ धंनु वापारी नानका जिसु गुरमुखि नामु […]

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अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 2 जून 2024

धनासरी महला ५ ॥ जतन करै मानुख डहकावै ओहु अंतरजामी जानै ॥ पाप करे करि मूकरि पावै भेख करै निरबानै ॥१॥ जानत दूरि तुमहि प्रभ नेरि ॥ उत ताकै उत ते उत पेखै आवै लोभी फेरि ॥ रहाउ ॥ जब लगु तुटै नाही मन भरमा तब लगु मुकतु न कोई ॥ कहु नानक दइआल सुआमी […]

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संधिआ वेले का हुक्मनामा – 2 जून 2024

धनासरी महला ५ ॥ जतन करै मानुख डहकावै ओहु अंतरजामी जानै ॥ पाप करे करि मूकरि पावै भेख करै निरबानै ॥१॥ जानत दूरि तुमहि प्रभ नेरि ॥ उत ताकै उत ते उत पेखै आवै लोभी फेरि ॥ रहाउ ॥ जब लगु तुटै नाही मन भरमा तब लगु मुकतु न कोई ॥ कहु नानक दइआल सुआमी […]

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अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 3 जून 2024

तिलंग महला ४ ॥ हरि कीआ कथा कहाणीआ गुरि मीति सुणाईआ ॥ बलिहारी गुर आपणे गुर कउ बलि जाईआ ॥१॥ आइ मिलु गुरसिख आइ मिलु तू मेरे गुरू के पिआरे ॥ रहाउ ॥ हरि के गुण हरि भावदे से गुरू ते पाए ॥ जिन गुर का भाणा मंनिआ तिन घुमि घुमि जाए ॥२॥ जिन सतिगुरु […]

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संधिआ वेले का हुक्मनामा – 3 जून 2024

धनासरी महला ५ ॥ वडे वडे राजन अरु भूमन ता की त्रिसन न बूझी ॥ लपटि रहे माइआ रंग माते लोचन कछू न सूझी ॥१॥ बिखिआ महि किन ही त्रिपति न पाई ॥ जिउ पावकु ईधनि नही ध्रापै बिनु हरि कहा अघाई ॥ रहाउ ॥ दिनु दिनु करत भोजन बहु बिंजन ता की मिटै न […]

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अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 4 जून 2024

सलोकु मः ३ ॥ ब्रहमु बिंदै तिस दा ब्रहमतु रहै एक सबदि लिव लाइ ॥ नव निधी अठारह सिधी पिछै लगीआ फिरहि जो हरि हिरदै सदा वसाइ ॥ बिनु सतिगुर नाउ न पाईऐ बुझहु करि वीचारु ॥ नानक पूरै भागि सतिगुरु मिलै सुखु पाए जुग चारि ॥१॥ मः ३ ॥ किआ गभरू किआ बिरधि है […]

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