अमृत वेले का हुक्मनामा – 18 सतंबर 2024
सलोकु मः ४ ॥ अंतरि अगिआनु भई मति मधिम सतिगुर की परतीति नाही ॥ अंदरि कपटु सभु कपटो करि जाणै कपटे खपहि खपाही ॥ सतिगुर का भाणा चिति न आवै आपणै सुआइ फिराही ॥ किरपा करे जे आपणी ता नानक सबदि समाही ॥१॥ मः ४ ॥ मनमुख माइआ मोहि विआपे दूजै भाइ मनूआ थिरु नाहि […]
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सोरठि महला ३ ॥ भगति खजाना भगतन कउ दीआ नाउ हरि धनु सचु सोइ ॥ अखुटु नाम धनु कदे निखुटै नाही किनै न कीमति होइ ॥ नाम धनि मुख उजले होए हरि पाइआ सचु सोइ ॥१॥ मन मेरे गुर सबदी हरि पाइआ जाइ ॥ बिनु सबदै जगु भुलदा फिरदा दरगह मिलै सजाइ ॥ रहाउ ॥ […]
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सोरठि महला ३ ॥ भगति खजाना भगतन कउ दीआ नाउ हरि धनु सचु सोइ ॥ अखुटु नाम धनु कदे निखुटै नाही किनै न कीमति होइ ॥ नाम धनि मुख उजले होए हरि पाइआ सचु सोइ ॥१॥ मन मेरे गुर सबदी हरि पाइआ जाइ ॥ बिनु सबदै जगु भुलदा फिरदा दरगह मिलै सजाइ ॥ रहाउ ॥ […]
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सोरठि महला ५ ॥ गुर अपुने बलिहारी ॥ जिनिपूरन पैज सवारी ॥ मन चिंदिआ फलु पाइआ ॥ प्रभु अपुना सदा धिआइआ ॥१॥ संतहु तिसु बिनुअवरु न कोई ॥ करण कारण प्रभु सोई ॥ रहाउ ॥ प्रभि अपनै वर दीने ॥ सगल जीअ वसि कीने ॥ जन नानक नामु धिआइआ ॥ ता सगले दूखमिटाइआ ॥२॥५॥६९॥ हे […]
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धनासरी महला १ घरु २ असटपदीआ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ गुरु सागरु रतनी भरपूरे ॥ अम्रितु संत चुगहि नही दूरे ॥ हरि रसु चोग चुगहि प्रभ भावै ॥ सरवर महि हंसु प्रानपति पावै ॥१॥ किआ बगु बपुड़ा छपड़ी नाइ ॥ कीचड़ि डूबै मैलु न जाइ ॥१॥ रहाउ ॥ रखि रखि चरन धरे वीचारी ॥ दुबिधा […]
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टोडी महला ५ घरु २ दुपदे ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ मागउ दानु ठाकुर नाम ॥ अवरु कछू मेरै संगि न चालै मिलै क्रिपा गुण गाम ॥१॥ रहाउ ॥ राजु मालु अनेक भोग रस सगल तरवर की छाम ॥ धाइ धाइ बहु बिधि कउ धावै सगल निरारथ काम ॥१॥ बिनु गोविंद अवरु जे चाहउ दीसै सगल […]
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रागु सोरठि बाणी भगत रविदास जी की ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ जउ हम बांधे मोह फास हम प्रेम बधनि तुम बाधे ॥ अपने छूटन को जतनु करहु हम छूटे तुम आराधे ॥१॥ माधवे जानत हहु जैसी तैसी ॥ अब कहा करहुगे ऐसी ॥१॥ रहाउ ॥ मीनु पकरि फांकिओ अरु काटिओ रांधि कीओ बहु बानी ॥ […]
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सलोक मः ५ ॥ करि किरपा किरपाल आपे बखसि लै ॥ सदा सदा जपी तेरा नामु सतिगुर पाइ पै ॥ मन तन अंतरि वसु दूखा नासु होइ ॥ हथ देइ आपि रखु विआपै भउ न कोइ ॥ गुण गावा दिनु रैणि एतै कमि लाइ ॥ संत जना कै संगि हउमै रोगु जाइ ॥ सरब निरंतरि […]
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जउ हम बांधे मोह फास हम प्रेम बधनि तुम बाधे ॥ अपने छूटन को जतनु करहु हम छूटे तुम आराधे ॥१॥ माधवे जानत हहु जैसी तैसी ॥ अब कहा करहुगे ऐसी ॥१॥ रहाउ ॥ मीनु पकरि फांकिओ अरु काटिओ रांधि कीओ बहु बानी ॥ खंड खंड करि भोजनु कीनो तऊ न बिसरिओ पानी ॥२॥ आपन […]
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धनासरी महला १ घरु २ असटपदीआ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ गुरु सागरु रतनी भरपूरे ॥ अम्रितु संत चुगहि नही दूरे ॥ हरि रसु चोग चुगहि प्रभ भावै ॥ सरवर महि हंसु प्रानपति पावै ॥१॥ किआ बगु बपुड़ा छपड़ी नाए ॥ कीचड़ि डूबै मैलु न जाए ॥१॥ रहाउ ॥ रखि रखि चरन धरे वीचारी ॥ दुबिधा […]
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