अमृत वेले का हुक्मनामा – 9 जुलाई 2023
गोंड महला ५ ॥ धूप दीप सेवा गोपाल ॥ अनिक बार बंदन करतार ॥ प्रभ की सरणि गही सभ तिआगि ॥ गुर सुप्रसंन भए वड भागि ॥१॥ आठ पहर गाईऐ गोबिंदु ॥ तनु धनु प्रभ का प्रभ की जिंदु ॥१॥ रहाउ ॥ हरि गुण रमत भए आनंद ॥ पारब्रहम पूरन बखसंद ॥ करि किरपा जन सेवा लाए ॥ जनम मरण दुख मेटि मिलाए ॥२॥ करम धरम इहु ततु गिआनु ॥ साधसंगि जपीऐ हरि नामु ॥ सागर तरि बोहिथ प्रभ चरण ॥ अंतरजामी प्रभ कारण करण ॥३॥ राखि लीए अपनी किरपा धारि ॥ पंच दूत भागे बिकराल ॥ जूऐ जनमु न कबहू हारि ॥ नानक का अंगु कीआ करतारि ॥४॥१२॥१४॥
अर्थ :- हे भाई ! जिस परमात्मा का दिया हुआ हमारा यह शरीर है, यह जीवन है और धन है, उस की सिफ़त-सालाह आठो पहिर (हर समय) करनी चाहिए।1।रहाउ। (हे भाई ! कर्म कांडी लोक देवी देवताओ की पूजा करते हैं, उन के आगे धूप धुखाते हैं और दीवे जलाते हैं, पर) जिस मनुख के ऊपर बड़ी किस्मत के साथ गुरु मेहरबान हो गए, वह (धूप दीप आदि वाली) सारी क्रिया छोड़ के भगवान का सहारा लेता है, परमात्मा के दर पर हर समय सिर झुकाना, परमात्मा की भक्ति करनी ही उस मनुख के लिए ‘धूप दीप’ की क्रिया है।1। हे भाई ! परमात्मा कृपा कर के अपने सेवकों को अपनी भक्ति में जोड़ता है, उन के जन्म से ले के मरन तक के सारे दु:ख मिटा के उनको अपने चरणों में मिला लेता है। सर्व-व्यापक बख्शंद परमात्मा के गुण गाते हुए उनके अंदर आनंद बना रहता है।2। हे भाई ! गुरु की संगत में टिक के परमात्मा का नाम जपते रहना चाहिए, यही है धार्मिक कर्म और यही है असल ज्ञान। हे भाई ! सब के दिल की जानने वाले और जगत के पैदा करने वाले परमात्मा के चरणों को जहाज बना के इस संसार-सागर में से पार निकल।3। हे भाई ! भगवान अपनी कृपा कर के जिनकी रक्षा करता है, (कामादिक) पाँचो भयानक दुश्मन उन से दूर भाग जाते हैं। गुरू नानक जी कहते हैं, हे नानक ! जिस भी मनुख का पक्ष परमात्मा ने किया है, वह मनुख (विकारों के) जूए में अपना जीवन कभी भी नहीं गवाँता।4।12।14।