अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 2 जुलाई 2023

वडहंसु महला ४ घोड़ीआ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ देह तेजणि जी रामि उपाईआ राम ॥ धंनु माणस जनमु पुंनि पाईआ राम ॥ माणस जनमु वड पुंने पाइआ देह सु कंचन चंगड़ीआ ॥ गुरमुखि रंगु चलूला पावै हरि हरि हरि नव रंगड़ीआ ॥ एह देह सु बांकी जितु हरि जापी हरि हरि नामि सुहावीआ ॥ वडभागी पाई नामु सखाई जन नानक रामि उपाईआ ॥१॥

राग वडहंस में गुरु अमर दस् जी की बानी ‘घोड़ियाँ’ अकाल पुरख एक है और सतगुरु की कृपा द्वारा मिलता है। मनुख की यह काया (मानो) घोड़ी है(इस को) परमात्मा ने पैदा किया है। मनुखा जनम भागों वाला है जो अच्छी किस्मत से मिलता है। मनुखा जनम बड़ी किस्मत से ही मिलता है , परन्तु मनुख की काया सोने जैसी है और सुंदर है, जो मनुख गुरु की सरन आ कर हरी-नाम का गाढ़ा रंग हासिल करता है, उस की काया हरी-नाम के नए रंग में रंगी जाती है। यह काया सुंदर है क्यों की इस काया से मैं परमात्मा का नाम जप सकता हूँ, हरी-नाम की बरकत से यह काया सुंदर बन जाती है। वोही बड़े भाग्य वाले हैं जिनका मित्र परमात्मा का नाम है। हे दास नानक! (नाम सुमिरन के लिए ही) यह काया परमात्मा ने पैदा की है॥१॥


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