अमृत वेले का हुक्मनामा – 13 मई 2023
धनासरी महला १ ॥ चोरु सलाहे चीतु न भीजै ॥ जे बदी करे ता तसू न छीजै ॥ चोर की हामा भरे न कोइ ॥ चोरु कीआ चंगा किउ होइ ॥१॥ सुणि मन अंधे कुते कूड़िआर ॥ बिनु बोले बूझीऐ सचिआर ॥१॥ रहाउ ॥ चोरु सुआलिउ चोरु सिआणा ॥ खोटे का मुलु एकु दुगाणा ॥ जे साथि रखीऐ दीजै रलाइ ॥ जा परखीऐ खोटा होइ जाइ ॥२॥ जैसा करे सु तैसा पावै ॥ आपि बीजि आपे ही खावै ॥ जे वडिआईआ आपे खाइ ॥ जेही सुरति तेहै राहि जाइ ॥३॥ जे सउ कूड़ीआ कूड़ु कबाड़ु ॥ भावै सभु आखउ संसारु ॥ तुधु भावै अधी परवाणु ॥ नानक जाणै जाणु सुजाणु ॥४॥४॥६॥
अर्थ: अगर कोई चोर (उस हाकिम की जिसके सामने उसका मुकदमा पेश है) खुशमद करे तो उसे (ये) यकीन नहीं बन सकता (कि ये सच्चा है), अगर वह चोर (हाकिम की) बुराई करे तो भी थोड़ा सा भी नहीं घबराता। कोई भी मनुष्य किसी चोर के अच्छे होने की गवाही नहीं दे सकता। जो मनुष्य (लोगों की नजरों में) चोर माना गया, वह (खुशमदों व बद्खोईयों से औरों के सामने) अच्छा नहीं बन सकता।1। हे अँधे लालची व झूठे मन! (ध्यान से) सुन। सच्चा मनुष्य बिना बोले ही पहचाना जाता है।1। रहाउ। चोर भले ही समझदार बने चतुर बने (पर आखिर है वह चोर ही, उसकी कद्र-कीमत नहीं पड़ती, जैसे) खोटे रुपए का मूल्य दो कौड़ी बराबर ही है। अगर खोटे रुपए को (खरों में) रख दें, (खरों में) मिला दें, तो भी जब उसकी परख होती है तब वह खोटा ही कहा जाता है।2। मनुष्य जैसा काम करता है वैसा ही वह उसका फल पाता है। हर कोई खुद (कर्मों के बीज) बीज के खुद ही फल खाता है। अगर कोई मनुष्य (हो तो खोटा, पर) अपनी महानताओं (अच्छाईयां बखान किए जाए) की कस्में उठाए जा (उसका ऐतबार नहीं बन सकता, क्योंकि) मनुष्य की जैसी मनो-कामना है वैसे ही रास्ते पर वह चलता है।3। (अपना ऐतबार जमाने के लिए चालाक बन के) चाहे सारे संसार को झूठी बातें और गप्पें मारता रहे (पर, हे प्रभू! कोई मनुष्य तुझे धोखा नहीं दे सकता)। (हे प्रभू! जो दिल का खरा हो तो) एक सीधा मनुष्य भी तुझे पसंद आ जाता है, तेरे दर पर कबूल हो जाता है। हे नानक! घट घट की जानने वाला सुजान प्रभू (सब कुछ) जानता है।4।3।6।