अमृत ​​वेले का हुक्मनामा – 12 अक्टूबर 2024

टोडी महला ५ घरु २ दुपदे
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
मागउ दानु ठाकुर नाम ॥
अवरु कछू मेरै संगि न चालै
मिलै क्रिपा गुण गाम ॥१॥ रहाउ ॥
राजु मालु अनेक भोग रस
सगल तरवर की छाम ॥
धाइ धाइ बहु बिधि कउ धावै
सगल निरारथ काम ॥१॥
बिनु गोविंद अवरु जे चाहउ
दीसै सगल बात है खाम ॥
कहु नानक संत रेन मागउ
मेरो मनु पावै बिस्राम ॥२॥१॥६॥
{अंग-७१३}

टोडी पातशाही पांचवी दुपदे घरु २दुपदे
वाहेगुरु केवल एक है और वह सच्चे गुरु द्वारा प्राप्त होता है।
हे मालिक प्रभू! मैं (तेरे पास से तेरे) नाम का दान माँगता हूँ। कोई भी और चीज तेरे साथ नहीं जा सकती। अगर तेरी कृपा हो, तो मुझे तेरी सिफत सालाह मिल जाए।1। रहाउ।
हे भाई! हकूमत, धन और अनेकों पदार्थों के स्वाद – ये सारे वृक्ष की छाया समान हैं (सदा एक जगह टिके नहीं रह सकते)। मनुष्य (इनकी खातिर) सदा ही कई तरीकों से दौड़-भाग करता रहता है, पर उसके सारे काम व्यर्थ चले जाते हैं।1।
हे नानक! कह– (हे भाई!) अगर मैं परमात्मा के नाम के बिना कुछ और ही माँगता रहूँ, तो यही सारी बात कच्ची है। मैं तो संतजनों के चरणों की धूल माँगता हूँ, (ता कि) मेरा मन (दुनियावी दौड़-भाग से) ठिकाना हासिल कर सके।2।1।9।


Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Begin typing your search term above and press enter to search. Press ESC to cancel.

Back To Top